Site icon News Vritt

“लड़की करती है दिमाग से टाइम ट्रेवल, वैज्ञानिक भी हैरान”

हाइपरथीमेसिया
दिमाग से टाइम ट्रैवल करती हुई लड़की हाइपरथीमेसिया

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपके दिमाग़ में एक ऐसी “टाइम मशीन” लगी हो, जिससे आप किसी भी दिन, किसी भी तारीख़ पर तुरंत वापस पहुँच जाएँ और उसी दिन को उसी एहसास के साथ जी लें? सुनने में यह किसी फिल्म की कहानी जैसी लगती है, लेकिन यह हकीकत है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक 17 साल की लड़की का केस रिपोर्ट किया है जिसकी याददाश्त इतनी असाधारण है कि वह अपने दिमाग़ से टाइम ट्रेवल कर सकती है।

वैज्ञानिक इस स्थिति को “हाइपरथीमेसिया” कहते हैं। यह बेहद दुर्लभ स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी ज़िंदगी की हर छोटी-बड़ी घटना को तारीख़ और समय सहित याद रखता है।

17 साल की लड़की का चौंकाने वाला केस

इस किशोरी की खासियत यह है कि वह सिर्फ घटनाएँ ही नहीं याद रखती, बल्कि उन पलों की आवाज़ें, खुशबू, मौसम और अपनी भावनाएँ भी उसी तरह महसूस कर सकती है जैसे कि वह सब अभी हो रहा हो। उदाहरण के लिए, अगर वह तीन साल पहले अपने जन्मदिन की बात करे तो उसे याद है कि कौन-कौन आया था, उसने क्या कपड़े पहने थे, केक का स्वाद कैसा था और उस समय उसकी मनःस्थिति क्या थी।

वैज्ञानिकों ने उसकी क्षमता का परीक्षण कर पाया कि यह लड़की न केवल अतीत को फिर से जी सकती है, बल्कि आने वाले समय की कल्पना भी बेहद सटीकता से कर लेती है।

मानसिक टाइम ट्रेवल कैसे संभव हुआ?

आम इंसानों की याददाश्त अक्सर धुंधली रहती है। हमें कोई खास घटना याद रहती है, लेकिन बारीकियाँ दिमाग़ से मिट जाती हैं। पर हाइपरथीमेसिया वाले व्यक्ति का दिमाग़ एक तरह का “मेमोरी आर्काइव” बना लेता है।

इस लड़की के दिमाग़ में जैसे ही कोई तारीख़ आती है, उससे जुड़ी हर तस्वीर, आवाज़, स्वाद और भावनाएँ उभरने लगती हैं। यही कारण है कि वैज्ञानिक इसे “मानसिक टाइम ट्रेवल” कहते हैं।

और यह सब केवल अतीत तक ही सीमित नहीं है। जब वह भविष्य की कल्पना करती है, तो उसका दिमाग़ उसी गहराई से दृश्य बना लेता है जैसे कोई फिल्म चल रही हो।

यह क्षमता वरदान है या बोझ?

पहली नज़र में यह क्षमता एक सुपरपावर जैसी लगती है। सोचिए, अगर हमें अपनी हर याद बारीकी से याद रहती तो शायद हम कोई गलती कभी न दोहराते। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं।

इस लड़की ने बताया कि दुखद घटनाओं को बार-बार उसी गहराई से जीना उसके लिए तकलीफ़देह होता है। जैसे अगर किसी करीबी की मौत हुई हो, तो वह हर बार उस दर्द को फिर से महसूस करती है। यही वजह है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि यह क्षमता एक साथ वरदान भी है और बोझ भी।

वैज्ञानिकों की राय और भविष्य की रिसर्च

इस केस ने रिसर्चरों को नए सवाल खड़े करने पर मजबूर कर दिया है। आखिर इंसानी दिमाग़ यादों को इतनी गहराई से कैसे सहेजता है? क्या यह क्षमता किसी जेनेटिक कारण से आती है या फिर दिमाग़ के किसी खास हिस्से के सक्रिय होने से?

वैज्ञानिक मानते हैं कि इस रिसर्च का फायदा अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों के इलाज में हो सकता है। अगर यह समझ आ जाए कि दिमाग़ यादों को किस तरह लंबे समय तक सुरक्षित रखता है, तो भूलने की बीमारी के मरीजों की मदद की जा सकती है।
🔗 NCBI रिसर्च हाइपरथीमेसिया

दुनिया में कितने लोग हैं ऐसे?

ऐसे लोगों की गिनती उँगलियों पर की जा सकती है। पूरी दुनिया में अब तक केवल कुछ ही लोगों को इस स्थिति में पहचाना गया है। हर नए केस से वैज्ञानिकों को दिमाग़ की कार्यप्रणाली समझने में बड़ी मदद मिलती है।

यह भी पढ़ें – 7 दिन में बाल झड़ना बंद! ये 1 घरेलू नुस्खा बदल देगा आपकी ज़िंदगी!

आम आदमी के लिए आसान उदाहरण

मान लीजिए, कोई आपसे पूछे कि आपने 5 साल पहले 12 जून को क्या किया था। शायद आप याद न कर पाएँ। अगर याद भी आए तो बहुत ही धुंधला। लेकिन इस लड़की को न केवल वह दिन याद रहेगा बल्कि यह भी याद रहेगा कि उस दिन आसमान में कितने बादल थे, किस दोस्त ने क्या बोला, और उसने खुद कैसा महसूस किया।

निष्कर्ष: दिमाग़ की अद्भुत शक्ति

यह 17 साल की लड़की का मामला हमें इंसानी दिमाग़ की जटिलता और अद्भुत शक्ति का एहसास कराता है। यह केस हमें यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि याददाश्त केवल अतीत को सहेजने का साधन नहीं है, बल्कि भविष्य की कल्पना करने का भी जरिया है।

भविष्य में अगर वैज्ञानिक इस रहस्य को पूरी तरह समझ पाए, तो शायद इंसान अपनी स्मृति शक्ति को और मजबूत बना सके। यह रिसर्च आने वाले समय में मानसिक स्वास्थ्य और दिमाग़ी बीमारियों के इलाज के लिए नई राह खोल सकती है।

Exit mobile version